Skip to main content

सपने जितने छोटे हो उतना ही अच्छा




सपने  देखना अच्छी बात है पर उनके पूरे होने पर हताश हो जाना गलत ,इसलिए व्यक्ति को हर दिन एक सपना देखना चाहिए जो वह रात हूने तक पूरा कर ले |सपना छोटा है ,समय की पाबन्दी है और दिन पूरा होने पर एक ख़ुशी है की आज मैंने सुबह ही एक सपना देखा और रात को पूरा भी हो गया....ऐसे कर  सकते हैं आप सपनों को पूरा |


Comments

Popular posts from this blog

बनाए ज़िंदगी को खूबसूरत

  एक इन्सान की ज़िन्दगी शुरू होती है जब वो जन्म लेता है बचपन सबसे प्यारा गुजरता है, क्यूंकि समझ बहुत कम होती है लेकिन कई अच्छी और बुरी बातें याद रह जाती हैं -अधिकतर विकास व्यक्तिव का बचपन में ही हो जाता है , फिर युवावस्था में प्रवेश लेते ही दुनिया बहुत खूबसूरत हो जाती है और सबकुछ या तो बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगता है या बहुत ज्यादा बुरा -इस उम्र में हर बात का ज़्यादा  मात्रा   में होना ज़िन्दगी की रफ़्तार बड़ा देता है , समय कब हाथ से निकल जाता है पता ही नहीं चलता | कुछ युवा इसी अवस्था में भटक जाते है , तो कई को सही राह मिल जाती है  , कई अपने भविष्य के लिए तैयार हो जाते है -  यह सब आपके मार्गदर्शन , आपके शिक्षक , आपके पालक और सबसे ज्यादा आप पर निर्भर करता है की आपका  झुकाव किस तरफ है | क्यूंकि आपका शरीर एक मशीन है जिसके नियंत्रण का बटन आपके मस्तिष्क में है और एक्सेलरेटर आपका दिल है |  अब यह आपको ही निर्धारित करना है की करना क्या है ? किन्तु युवा वस्था में कई बार सोचने समझने की शक्ति ख़त्म हो जाती है जिससे सही निर्णय नहीं हो पाते -और यही वो समय होता है जब आपका ...

प्रिय माँ

  प्रिय माँ   , आपका बच्चा आपकी ज़िन्दगी है , जीने की वजह है और आज के इस युग में एक माँ के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी | लड़की हो या लड़का आज का बच्चा बहुत बुद्धिमान है उसे ज़रुरत है बुद्धिमान और हर कार्य में सक्षम माँ की   | इसलिए आज और अभी से आपको अपने स्वरुप को बदलना होगा   , खास तौर पर एक गृहणी को ......आज तक एक गृहणी को घर के काम करना और खाना बनाना एवं बच्चों की देखरेख करना , सभी परिवारजनों का ध्यान रखना एक शब्द में कहें तो घर की प्रबंधक के रूप में जाना जाता है   | किन्तु अब समय आ गया है अपने स्वरुप को बदलने का इसके लिए सबसे पहले अपनी   दिनचर्या पर ध्यान दें , आप देखेंगी की ज्यातर समय आपका   रसोई , कपडे धोना , बर्तन इत्यादि सभी कामों में जाता है , फिर भी ज़्यादातर समय स्त्रियों   का रसोई में ही गुज़रता है , सुबह से लेकर शाम और फिर रात यह ज़रूरी नहीं की आप गृहणी है तो सारा वक़्त रसोई में और घर के बाकि कार्यों में   बिताएंगी | जब तक आप माँ नहीं बनी तब तक ठीक है परंतु    माँ बनने के बाद आप एक नयी ज़िन्दगी के साथ जुड़ जाती हैं जो आपको भी एक नया...

लड़की का आत्मविश्वास -हमारा समाज

  हमारे समाज में यह माना जाता है , की लड़की का असली घर उसके पति का घर होता है | अधिकतर लड़कियां ससुराल को अपना घर समझ कर रहती हैं और अपने परिवार , भाई बहन , और प्यार जो उन्हें बचपन से मिला है , सबको छोड़कर अपने ससुराल के लिए समर्पित हो जाती हैं | लेकिन क्या उन्हें ससुराल में वो प्यार मिलता है ? वो इज्ज़त मिलती है , जिसकी वो हक़दार हैं ? आज के इस युग में अभी भी कई शहरों में लगभग ७०% लड़कियों को वो प्यार , वो सम्मान नहीं मिल पा   रहा है जिसकी वो हकदार हैं | माननीय समाज , कई ऐसी लड़कियां हैं जो शादी के बाद अलग अलग परेशानियों का सामना कर रही हैं , तो क्या जीवन भर उन्हें इस रिश्ते को बोझ की तरह निभाना चाहिए , जिसमे न तो प्यार है और न ही सम्मान ? क्या उन्हें वापस अपने माँ बाप के साथ सर उठा कर जीने का हक है ? या क्या वह अपनी एक नयी ज़िन्दगी शुरू कर सकती हैं ? जब एक लड़की जन्म लेती है , तभी से उसे सिखाया जाता है की बड़े होकर तुम्हे अपने घर जाना है "पति का घर " और सबका ध्यान रखना है , वही तुम्हारा घर है , माँ बाप हमेशा अपनी लड़की को यही कहकर बड़ा करते हैं की हम तो सिर्फ जन्म देने वाले हैं पर तुम्...