बच्चों के आत्मविश्वास की नीवं है - माता पिता का आपसी सम्बन्ध | किसी भी घर का वातावरण पति पत्नी के मधुर संबंधो से ही सकारात्मक बनता है | हर माँ बाप यह चाहते हैं की उनका बच्चा बड़े होकर किसी बड़ी संस्था के साथ कार्य करे और इस के लिए वह हर संभव प्रयास करते हैं | साथ ही उसे अलग अलग एक्टिविटी क्लास में भी डाल देते हैं,जिससे आपका बच्चा पढ़ाई के अलावा भी अन्य क्षेत्रों में होशियार बने | आप अपने बच्चे के सुनहरे भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करते हैं | किन्तु अगर घर में रोज़ किसी न किसी बात पर तनाव होता है या बहस की स्थिति बनती है तो यह बच्चे के मानसिक विकास के लिए ठीक नहीं ,कभी कभी विवाद होना सामान्य है | आपके चिड़ चिड़े स्वभाव के वजह से बच्चों से प्यार से बात करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है | कई माँ बाप यह जानते हैं की हम अपने बच्चे को समय नहीं दे पा रहे ,कुछ अच्छा नहीं कर पा रहे , किन्तु आपसी तनाव के कारण काफी समय व्यर्थ चला जाता है | थोड़ी बहुत परेशानियाँ ,तनाव हर व्यक्ति सहन कर सकता है किन्तु ज़रुरत से ज्यादा तनाव आपको मानसिक रूप से परेशान कर देता है,आपके सोचने समझने की शक्ति को क्षीण कर देता है | पति पत्नी का एक दूसरे को समझना एवं एक दूसरे को खुश रखने की पूरी कोशिश करना ही एक घर बनाता है ,जिससे आपके घर में सकारात्मक उर्जा फैली रहती है | इस सकारात्मकता का सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ेगा ,एक अच्छी नौकरी तो वो पा लेगा किन्तु आपके प्यार से जो संतोष और ख़ुशी वो अनुभव करेगा वह अनमोल है | बच्चे तो सभी के बड़े होते हैं ,अच्छी परवरिश सभी देते हैं किन्तु ज्ञान के साथ जीने की कला सिखाना, आपके बच्चे को एक नया द्रष्टिकोण देगा | आमतौर पर बच्चे को पढ़ाना ,स्कूल भेजना ,पौष्टिक आहार देना, अच्छी बातें करना ,यह सब आप कर रहे हैं किन्तु अपने बच्चे का आंकलन करना ,उसकी हर मुश्किल को आसान बना देना ,उसकी हर बात पर विश्वास करना ,और अगर आपके बच्चे में कोई कमी है तो उसे बिना अपने बच्चे को पता चले दूर करना यह एक कला है, जिसे करने के लिए आपको स्वतंत्र एवं संयमित मस्तिष्क की ज़रुरत है ; समय के साथ नयी सोच की ज़रुरत है | सामान्यतः एक दिन में बच्चे कम से कम २० से ४० सवाल तक पूछ सकते हैं जिनका उत्तर देने में आप झुन्झुला जाते है क्यूंकि आपका दिमाग पहले से ही तनाव ग्रस्त है जिसमे कम से कम १० सवालों का उत्तर देने की क्षमता है, इससे ज़्यादा होने पर आपको गुस्सा आ जाती है लेकिन आपका बेहतर आपसी सम्बन्ध होने से बच्चा जब आपसे कोई सवाल पूछेगा तब आप झुन्झुलायेंगे नहीं बल्कि प्यार से उसका उत्तर देंगे ,उसके हर प्रश्न का उत्तेर देंगे ,डांटेंगे नहीं | उसकी जिद्द पर उसे समझायेंगे मारेंगे नहीं | अगर बच्चे से कोई गलती हो जाती है तो "कोई बात नहीं" कह कर उसे प्यार कर लेंगे,फिर कई दूसरी तरकीबों से उसे समझा सकते हैं की सही काम क्या होता है | स्कूल से लौटने पर उसे प्यार से अपनी गोद में बिठा कर या अपने पास बिठा कर सारी बातें करेंगे | शाम को उसके साथ खुद भी पढ़ाई कर सकते हैं जिससे उसका मनोबल और पढ़ाई में रूचि बढ़ेगी | शाम को जब पापा घर आयें तब अपने बच्चे से पूरे दिनचर्या और अपनी भी कुछ बातें करें ,जिससे आपके बच्चे को नयी सोच मिलेगी क्यूंकि पापा बाहर की दुनिया के बारे में बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकते हैं | आपके खुश रहने से सिर्फ ये होगा की काम तो आप अपने बच्चे के सभी कर रहे हैं किन्तु उसकी परवरिश के लिए नयी तकनीकों का इस्तेमाल कर सकेंगे ,यह आपको भी उर्जावान बनाये रखेगा | आपके सम्बन्ध मधुर होने से दिनभर एक माँ अपना ज़्यादातर दिमाग यह सोचने में लगाएगी की किस तरह मैं अपने बच्चे को बेहतर ज़िन्दगी दे सकती हूँ ,किस तरह बिना किसी काम का मना करे उसे समझा सकती हूँ ,की यह नहीं करना | तकनीकें बहुत है की आपके हर प्रश्न का उत्तर गूगल या यू टयूब में मिल जाता है ,सिर्फ तनाव में रहना आपको अच्छे काम और अच्छी बातें सोचने नहीं देता जिससे आप और आपका बच्चा एक बेहतर शिक्षा और प्यार से वंचित रह जाता है | कोशिश करें क्यूंकि आपके लिए भी संबंधो में मधुरता होना ज़रूरी है |
एक इन्सान की ज़िन्दगी शुरू होती है जब वो जन्म लेता है बचपन सबसे प्यारा गुजरता है, क्यूंकि समझ बहुत कम होती है लेकिन कई अच्छी और बुरी बातें याद रह जाती हैं -अधिकतर विकास व्यक्तिव का बचपन में ही हो जाता है , फिर युवावस्था में प्रवेश लेते ही दुनिया बहुत खूबसूरत हो जाती है और सबकुछ या तो बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगता है या बहुत ज्यादा बुरा -इस उम्र में हर बात का ज़्यादा मात्रा में होना ज़िन्दगी की रफ़्तार बड़ा देता है , समय कब हाथ से निकल जाता है पता ही नहीं चलता | कुछ युवा इसी अवस्था में भटक जाते है , तो कई को सही राह मिल जाती है , कई अपने भविष्य के लिए तैयार हो जाते है - यह सब आपके मार्गदर्शन , आपके शिक्षक , आपके पालक और सबसे ज्यादा आप पर निर्भर करता है की आपका झुकाव किस तरफ है | क्यूंकि आपका शरीर एक मशीन है जिसके नियंत्रण का बटन आपके मस्तिष्क में है और एक्सेलरेटर आपका दिल है | अब यह आपको ही निर्धारित करना है की करना क्या है ? किन्तु युवा वस्था में कई बार सोचने समझने की शक्ति ख़त्म हो जाती है जिससे सही निर्णय नहीं हो पाते -और यही वो समय होता है जब आपका ...
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