सुबह की पहली किरण के साथ जब आँख खुलती है तभी मन में यह ख्याल आता
है आज क्या करना है ,कौन
कौन से काम पूरे करना है ,कुछ
घर के काम भी पूरे करना है ,काम
तो आपको करना ही है लेकिन अगर आप अपने दिन की शुरुआत एक ऐसे काम से करें जिसे करने में आप बहुत अच्छा महसूस करते हैं तो आप
दिन भर अपने अंदर एक अलग ही उर्जा का प्रवाह महसूस करेंगे ,जो आपको एक नयी प्रेरणा देगी | सामान्यतः पुरुषों को नौकरी पर जाना होता है,महिलाओं को रसोई के काम घर के काम करने होते हैं ,कुछ महिलाओं को रसोई के काम एवं नौकरी दोनों करना होता है और बच्चों
को स्कूल या कॉलेज जाना होता है |यही
सभी करते हैं और सुबह उठते समय भी यही विचार आता है की नौकरी पर जाना है ,खाना बनाना है ,और
स्कूल जाना पड़ेगा ,यह
विचार लगभग ७५% लोगो के मन में आता है | एक जैसा काम इन्सान को आनंद का अनुभव नहीं करने देता इसलिए अपने काम
को भी हर दिन एक नए तरीके से करने की कोशिश करिए और सोचिये किस तरह से आप अपने
कार्य को मज़ेदार बना सकते है साथ ही जो काम आपको पसंद हैं जैसे योग करना , नृत्य करना , खेलना
, टेहेलने जाना ,
अपने दोस्तों के साथ समय बिताना , घर के काम करना , ईश्वर
की आराधना करना , ध्यान लगाना, अपने बगीचे का रखरखाव करना , चिड़िया की चेह्चाहाहट सुनना , दौड़ना , व्यायाम
करना , पुस्तक पढना ,और ऐसे कई काम हो सकते हैं जिन्हें करने में आप बेहद ख़ुशी महसूस करते
हों ,उन्हें करने की कोशिश करिए | हो सकता है की यह सब करने में आपको कई तकलीफों का सामना करना पड़े ,किन्तु आपको निरंतर प्रयत्न करना होगा और निश्चित ही आप कर पाएंगे ,सिर्फ अपने शौक को सुबह की पहली किरण के साथ ;हर काम से पहले करने की कोशिश करें ; पूरा दिन एक सकारात्मक उर्जा के साथ गुजरेगा | हर अच्छे परिवर्तन का और कुछ कर गुजरने का वक्त सिर्फ आज है अभी है ,कल का इंतज़ार मत करिए | व्यस्त रहना अच्छी बात है ,व्यस्तता हमें संतोष देती है और व्यस्तता में अपने मन का या अपना शौक
पूरा करना हमें ख़ुशी देता है इसलिए सुबह सबसे पहले आप वही करिए जो आपका शौक हो फिर
देखिये सुबह वो किरण ;वो
पल ;वो दिन; आपके लिए अद्भुद होगा और आपको ऐसी संतुष्टि का अनुभव देगा जो शायद आप पहली या कई दिनों बाद महसूस कर रहे
हों |
एक इन्सान की ज़िन्दगी शुरू होती है जब वो जन्म लेता है बचपन सबसे प्यारा गुजरता है, क्यूंकि समझ बहुत कम होती है लेकिन कई अच्छी और बुरी बातें याद रह जाती हैं -अधिकतर विकास व्यक्तिव का बचपन में ही हो जाता है , फिर युवावस्था में प्रवेश लेते ही दुनिया बहुत खूबसूरत हो जाती है और सबकुछ या तो बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगता है या बहुत ज्यादा बुरा -इस उम्र में हर बात का ज़्यादा मात्रा में होना ज़िन्दगी की रफ़्तार बड़ा देता है , समय कब हाथ से निकल जाता है पता ही नहीं चलता | कुछ युवा इसी अवस्था में भटक जाते है , तो कई को सही राह मिल जाती है , कई अपने भविष्य के लिए तैयार हो जाते है - यह सब आपके मार्गदर्शन , आपके शिक्षक , आपके पालक और सबसे ज्यादा आप पर निर्भर करता है की आपका झुकाव किस तरफ है | क्यूंकि आपका शरीर एक मशीन है जिसके नियंत्रण का बटन आपके मस्तिष्क में है और एक्सेलरेटर आपका दिल है | अब यह आपको ही निर्धारित करना है की करना क्या है ? किन्तु युवा वस्था में कई बार सोचने समझने की शक्ति ख़त्म हो जाती है जिससे सही निर्णय नहीं हो पाते -और यही वो समय होता है जब आपका ...
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